सोनभद्र जनपद के अनपरा थाना क्षेत्र के डिबुलगंज निवासी देवेंद्र जायसवाल द्वारा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को संबोधित एक भावुक पोस्ट सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें उन्होंने अपने परिवार पर हुए जानलेवा हमले, पुलिस की निष्क्रियता और राजनीतिक हस्तक्षेप के चलते मिल रहे कथित अन्याय को सामने लाया है।
देवेंद्र जायसवाल का कहना है कि उनके पिता, अंबिका प्रसाद जायसवाल को झूठे मुकदमे में फंसाकर जेल भेज दिया गया, जबकि उन्होंने अपने खिलाफ हुई हिंसा के साक्ष्य पुलिस को सौंपे थे। लेकिन दबाव में आकर पुलिस ने उल्टा कार्रवाई करते हुए उनके परिवार को ही आरोपी बना दिया है।
देवेंद्र ने आरोप लगाया है कि राज्यमंत्री संजीव गोंड़ के करीबी और आपराधिक छवि वाले हिस्ट्रीशीटर बाल्केश्वर सिंह उर्फ बांके सिंह ने उनके घर में घुसकर, उनके परिवार के साथ गाली-गलौज करते हुए मारपीट और जानलेवा हमला किया।
देवेंद्र के अनुसार, इस पूरी घटना की वीडियो रिकॉर्डिंग, ऑडियो क्लिप्स और कॉल रिकॉर्डिंग पुलिस को सौंपी गई है, लेकिन इन सबूतों के बावजूद न तो हमलावरों पर कोई कड़ी कार्रवाई हुई और न ही उनके परिवार को सुरक्षा प्रदान की गई है।
देवेंद्र का यह भी कहना है कि थाना प्रभारी शुरू में सहयोग कर रहे थे, लेकिन बाद में ऊपर से आए दबाव के चलते उन्होंने अपना रुख बदल लिया और उनके पिता को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया।
देवेंद्र ने अपनी पोस्ट में यह भी लिखा है कि कोई भी वकील अब उनके केस को हाथ लगाने को तैयार नहीं है, जिससे उनका पूरा परिवार भय और दहशत में जीवन जीने को मजबूर है।
सोशल मीडिया पर वायरल इस पोस्ट में देवेंद्र ने मुख्यमंत्री से न्याय की अपील करते हुए मांग की है कि इस पूरे मामले की निष्पक्ष और उच्चस्तरीय जांच कराई जाए, उनके पिता को अविलंब जेल से रिहा किया जाए, दोषियों पर सख्त से सख्त कार्रवाई हो और उनके परिवार को सुरक्षा प्रदान की जाए, ताकि वे सामान्य जीवन जी सकें।
दूसरी ओर, इस मामले में दर्ज एफआईआर और दूसरे पक्ष की कहानी पूरी तरह अलग है।
एफआईआर के अनुसार, डिबुलगंज निवासी प्रमोद सिंह ने अंबिका प्रसाद जायसवाल पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि उन्होंने अंबिका प्रसाद के कहने पर एलयूसीसी नामक कंपनी में एलआईसी के नाम पर चार लाख रुपये निवेश किए थे।
जब प्रमोद सिंह अपना पैसा और निवेश का बांड वापस मांगने अंबिका प्रसाद जायसवाल के घर पहुंचे, तो वहां अंबिका प्रसाद, उनके पुत्र देवेंद्र जायसवाल और अन्य परिजनों ने मिलकर उनकी जमकर पिटाई कर दी।
सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और दोनों पक्षों को हिरासत में लेकर थाने ले गई,
दूसरे पक्ष का कहना है कि अंबिका प्रसाद जायसवाल ने एलयूसीसी कंपनी के नाम पर लोगों से लाखों रुपये की ठगी की है।
वहीं, अंबिका प्रसाद जायसवाल और देवेंद्र जायसवाल का कहना है कि एलयूसीसी कंपनी के खिलाफ विस्तृत जांच हो, ताकि जिन लोगों ने अपनी जमा पूंजी निवेश की थी, उन्हें न्याय मिल सके।
इस पूरे मामले में अब प्रशासन और सरकार की भूमिका पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
जहां एक ओर एक पक्ष खुद को पीड़ित बताकर मुख्यमंत्री से न्याय की गुहार लगा रहा है,
अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस मामले की निष्पक्ष जांच कर सच्चाई तक पहुंचता है या नहीं, क्योंकि यह प्रकरण अब न सिर्फ कानून व्यवस्था से जुड़ा है, बल्कि जनता के विश्वास और शासन की साख से भी जुड़ गया है।