वाराणसी, 29 अगस्त 2025: विश्व के सबसे प्राचीन शहर काशी में अध्यात्म और आस्था का महापर्व 'लोलार्क षष्ठी' 29 अगस्त को अपार श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया गया। अघोर परंपरा के सर्वमान्य आचार्य और ईष्ट-अराध्य बाबा कीनाराम जी के जन्म के छठवें दिन के उपलक्ष्य में आयोजित इस पर्व में दुनिया भर से आए अघोर साधु-संतों, साधकों और अनुयायियों का समागम बाबा कीनाराम स्थल, क्रीं-कुण्ड में हुआ। यह स्थल अघोर परंपरा का विश्वविख्यात केंद्र माना जाता है।
सुबह आश्रम परिसर में साफ-सफाई और दैनिक आरती के बाद श्रद्धालुओं का इंतजार बाबा कीनाराम जी, अघोरेश्वर महाप्रभु बाबा भगवान राम जी और वर्तमान पीठाधीश्वर अघोराचार्य महाराजश्री बाबा सिद्धार्थ गौतम राम जी के दर्शन के लिए शुरू हुआ। सुबह 9 बजे जैसे ही बाबा सिद्धार्थ गौतम राम जी अपने कक्ष से बाहर आए, घंटा-डमरू-शंख और 'हर हर महादेव' के उद्घोष से पूरा परिसर गूंज उठा। समाधियों की औपचारिक पूजा-अर्चना के बाद बाबा सिद्धार्थ गौतम राम जी अपने प्रसिद्ध औघड़ तख्त पर विराजमान हुए, जहां श्रद्धालुओं में अपने आराध्य की एक झलक पाने की होड़ लग गई। अनुशासित और संयमित भक्तों ने कतारबद्ध होकर बाबा कीनाराम जी, अघोरेश्वर महाप्रभु और अन्य समाधियों का दर्शन-पूजन किया।
इस पावन अवसर पर 'अघोराचार्य बाबा कीनाराम अघोर शोध एवं सेवा संस्थान' के 'महिला मण्डल' द्वारा सामाजिक सरोकार के तहत एक रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया, जिसमें 80 से अधिक लोगों ने स्वेच्छा से रक्तदान किया। आश्रम परिसर के बाहर विशाल मेले का आयोजन हुआ, जहां सैकड़ों दुकानें सजी थीं और हजारों लोग खरीदारी में व्यस्त दिखे।
स्थानीय प्रशासन ने भी इस आयोजन के लिए दो दिन पहले से ही व्यापक तैयारियां शुरू कर दी थीं। प्रशासन और आश्रम प्रबंधन के बीच निरंतर समन्वय के साथ सुरक्षा की चाक-चौबंद व्यवस्था सुनिश्चित की गई, जिसके फलस्वरूप यह महापर्व सकुशल और शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुआ।
लोलार्क षष्ठी का यह आयोजन न केवल अघोर परंपरा की आध्यात्मिक गहराई को दर्शाता है, बल्कि सामाजिक एकजुटता और सेवा भाव को भी उजागर करता है।